ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वास

ब्रह्मज्ञान से ही परिपक्व हो सकता है ईश्वर पर विश्वास
– सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
होशियारपुर , 28 नवंबर, 2021ः ‘‘किसी काल्पनिक बात पर तब तक विश्वास नहीं होता जब तक हम साक्षात वह चीज नहीं देखते। उसी तरह से प्रभु-परमात्मा ईश्वर पर भी हमारा विश्वास तभी परिपक्व हो सकता है जब ब्रह्मज्ञान द्वारा उसे जाना जाता है। ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखते हुए जब मनुष्य अपनी जीवन यात्रा भक्ति भाव से युक्त होकर व्यतीत करता है तो वह आनंददायक बन जाती है।’’
ये उद्गार सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने वर्चुअल रूप में आयोजित तीन दिवसीय 74वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के प्रथम दिवस के सत्संग समारोह में अपने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए व्यक्त किए। सन्त समागम का सीधा प्रसारण मिशन की वेबसाईट तथा साधना टी.वी.चैनल द्वारा हो रहा है जिसका लाभ पूरे विश्व में श्रद्धालु भक्तों एवं प्रभु प्रेमी सज्जनों द्वारा लिया जा रहा है।
 सत्गुरू माता जी ने प्रतिपादन किया कि एक तरफ विश्वास है तो दूसरी तरफ अंध विश्वास की बात भी सामने आती है। अंध विश्वास से भ्रम-भ्रांतियां पैदा होती हैं, डर पैदा होता है और मन में अहंकार भी प्रवेश करता है जिससे मन में बुरे ख्याल आते हैं जिससे कलह-क्लेषों का सामना करना पड़ता है। ब्रह्मांड की हर एक चीज विश्वास पर ही टिकी है पर विश्वास ऐसा न हो कि असल में कुछ और हो और मन में हम कल्पना कोई दूसरी कर लें। आँख बंद करके अथवा असलीयत से आँख चुराकर कुछ और करते हैं तो फिर हम उन अंध विश्वासों की तरफ बढ़ जाते हैं। किसी चीज की असलीयत और उसका उद्देश्य न जानते हुए तर्कसंगत न होते हुए भी करते चले जाना ही अंध-विश्वास की जड़ है जिससे नकारात्मक भाव मन पर हावी हो जाते हैं।
सत्गुरु माता जी ने आगे कहा कि आसपास का वातावरण, व्यक्ति अथवा किसी चीज़ से अपने आपको दूर करने का नाम भक्ति नहीं। भक्ति हमें जीवन की वास्तविकता से भागना नहीं सिखाती बल्कि उसी में रहते हुए हर पल, हर स्वांस परमात्मा का अहसास करते हुए आनंदित रहने का नाम भक्ति है। भक्ति किसी नकल का नाम नहीं बल्कि यह हर एक की व्यक्तिगत यात्रा है। हर दिन ईश्वर के साथ जुडे रहकर अपनी भक्ति को प्रबल करना है। इच्छाएं मन में होनी लाजमी है पर उनकी पूर्ति न होने से उदास नहीं होना चाहिए। अनासक्त भाव से अपना विश्वास पक्का रखने में ही बेहतरी है। इसी से असल रूप में इन्सान आनंद की अनुभूति कर सकता है।
सेवादल रैली
समागम के दूसरे दिन का शुभारम्भ एक रंगारंग सेवादल रैली द्वारा हुआ जिसमें देश, दूर-देशों से आये सेवादल के भाई-बहनों ने भाग लिया। इस सेवादल रैली में विभिन्न खेल, शारीरिक व्यायाम, शारीरिक करतब, फिजिकल फॉर्मेशन्स, माइम अॅक्ट के अलावा मिशन की सिखलाईयों पर आधारित सेवा की प्रेरणा देने वाले गीत एवं लघुनाटिकायें मर्यादित रूप में प्रस्तुत की गई। 
सेवादल के मेंबर इंचार्ज श्री विनोद वोहरा जी ने सेवादल रैली में सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज का हार्दिक स्वागत किया एवं सेवादल भाई-बहनों के लिए आशीर्वादों की कामना की।
सेवादल रैली को अपने आशीर्वाद प्रदान करते हुए सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि तन-मन को स्वस्थ रखकर समर्पित भाव से सेवा करना हर भक्त के लिए जरूरी है, भले वह सेवादल की वर्दी पहनकर करता हो अथवा बिना वर्दी पहने। हर एक में परमात्मा को देखकर हम घर में, समाज में, मानवता के लिए मन में सेवा का भाव रखते हुए जो भी कार्य करते हैं वह एक सेवा का ही रूप है। सेवा करते वक्त विवेक और चेतनता की भी निरंतर आवश्यकता होती है। 
————————————————-
 
 
 
Advertisements
Advertisements
Advertisements
Advertisements
Advertisements
Advertisements
Advertisements
Advertisements

Related posts

Leave a Reply