ज्ञानरूपी रोशनी को जन जन तक पहुंचाने का माध्यम बनें : सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज

ज्ञानरूपी रोशनी को जन जन तक पहुंचाने का माध्यम बनें
– सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
निरंकारी सन्त समागम का सफलतापूर्वक समापन
होशियारपुर, 30 नवंबर, 2021: ‘‘वर्तमान समय में संसार में सन्त-महात्माओं की नितांत आवश्यकता है, उनसे शिक्षा प्राप्त करके सभी भक्ति मार्ग पर अग्रसर होकर स्वयं आनंदमयी जीवन जियें एवं जन जन तक ज्ञानरूपी रोशनी पहुंचाने का माध्यम बनें।’’
ये उद्गार सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने 74वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम के समापन सत्र में वर्चुअल माध्यम द्वारा विश्वभर के श्रद्धालु भक्तों का आह्वान करते हुए व्यक्त किए। सोमवार, 29 नवंबर, 2021 को इस तीन दिवसीय समागम का सफलतापूर्वक समापन हुआ जिसका भरपूर आनन्द मिशन की वेबसाईट एवं साधना टी.वी.चैनल के माध्यम से विश्वभर के श्रद्धालु भक्तों एवं प्रभुप्रेमी सज्जनों द्वारा लिया गया।
सत्गुरू माता जी ने कहा कि ब्रह्मज्ञान द्वारा भक्ति मार्ग पर चलते हुए ईश्वर पर दृढ़ विश्वास रखकर जीवन आनंदित हो जाता है। जब हम परमात्मा को जीवन का आधार बना लेते हैं और पूर्णत: उसमें समर्पित होकर मन में जब सत्संग, सेवा, सुमिरण की लगन लग जाती है तो यह जीवन वास्तविक रूप में महक उठता है। अत: हम इस निरंकार प्रभु के रंग में निरंतर रंगे रहे एवं अपना विश्वास इतना दृढ़ बनाएं कि फिर किसी भी अवस्था में वह डोल न पाये।
कवि संमेलन
समागम के समापन सत्र में एक बहुभाषी कवि संमेलन का आयोजन किया गया जिसमें ‘श्रद्धा भक्ति विश्वास रहे, मन में आनन्द का वास रहे’’ शीर्षक पर अनेक कवियों ने हिंदी, पंजाबी, मुलतानी, हरियाणवी, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओं में अपनी अपनी कवितायें पढ़ी।
समागम स्मारिका:- समागम के मुख्य विषय ‘विश्वास भक्ति आनंद’ पर आधारित एक विशेष स्मारिका समागम के दो दिन पहले सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के करकमलों द्वारा प्रकाशित की गई जिसमें हिन्दी, अंग्रेजी एवं पंजाबी भाषाओं में लेख सम्मिलित किये गए हैं।
निरंकारी प्रदर्शनी:- इस वर्ष वर्चुअल रूप में निरंकारी प्रदर्शनी समागम के कुछ दिन पूर्व ही मिशन की वेबसाईट पर दर्शायी गई जिसमें मिशन के इतिहास एवं सत्गुरु की कल्याण यात्राओं तथा अन्य गतिविधियों को मॉडलों एवं चित्रों की सहायता से निरंकारी प्रदर्शनी एवं बाल प्रदर्शनी के रूप में दर्शाया गया। इस प्रदर्शनी में ‘विश्वास भक्ति आनंद’ विषय पर आधारित लघुनाटिकाओं को कार्यक्रम के रूप में भी प्रस्तुत किया गया।

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