EXCLUSIVE HEALTH NEWS : डेंगू के सीजन में भी नहीं चलाई गई प्लेटलेट्स निकालने वाली मशीन : तलवाड़, मशीन ठीक, किट महंगी – सिविल सर्जन होशियारपुर

डेंगू के सीजन में भी नहीं चलाई गई प्लेटलेट्स निकालने वाली मशीन : तलवाड़,

मशीन ठीक किट महंगी– सिविल सर्जन डॉ  बलविंदर कुमार


होशियारपुर (आदेश )  :  पंजाब सरकार की नाकामियो में सेहत विभाग होशियारपुर एक बड़ा धब्बा साबित हो रहा है। सभी जानते हैं कि होशियारपुर डेंगू से बुरी तरह पीड़ित है पर हैरानी जनक बात यह है की सिविल हॉस्पिटल होशियापुर को सोनालिका द्वारा प्लेटलेट्स निकालने के लिए मशीन दिए जाने के बाद भी इस सीजन में एक यूनिट भी प्लेटलेट्स की सिविल अस्पताल द्वारा नहीं निकाली गई । उपरोक्त जानकारी आज अपने कार्यालय में संजीव तलवाड द्वारा संक्षिप्त पत्रकार वार्ता में दी ।
तलवाड ने बताया कि प्लेटलेट्स निकालने के लिए मशीन भी है तकनीकी स्टाफ भी है उसके बावजूद मरीज बाहर से प्लेटलेट्स लेने के लिए विवश है।

उन्होंने कहा इतना ही नहीं खुद सिविल सर्जन के पिताजी डेंगू से पीड़ित होकर इसी हॉस्पिटल में दाखिल हैं और उनके लिए भी प्लेटलेट्स बाहर से आ रहे हैं। तलवाड ने कहा कि सरकार दावा करती है कि अगर अस्पताल की कोई भी मशीन खराब हो जाए तो उसके लिए एक विशेष एजेंसी को हायर किया हुआ है जिसका बारकोड मशीन के ऊपर लगा हुआ है और वह एजेंसी शिकायत मिलने के तुरंत बाद मशीन को ठीक कर देती है ऐसे में हॉस्पिटल यह भी बात नहीं कह सकता की मशीन खराब चल रही है।तलवाड ने कहा करनी और कथनी में अंतर रखने वाली सरकार की अनदेखी के चलते आज बहुत सी प्लेटलेट्स निकालने वाली किट इस्तेमाल न होने के कारण खराब हो चुकी हैं।

तलवाड ने इस बात पर हैरानी जताई के बीते दिनों सेहत मंत्री ने हॉस्पिटल का दौरा किया पर आज डेंगू में होशियारपुर पूरे पंजाब से नंबर एक पर आ जाने के बाद भी इन नाकामियो की ओर उनका ध्यान नहीं गया तलवाड़ ने कहा कि आम जनता के हो रहे इस शोषण को रोकने के लिए हर प्रयास करेंगे उन्होंने कहा कि इस संबंध में सभी आंकड़े उन्होंने इकट्ठे कर लिए हैं जिन्हें लेकर वह जल्द सेहत विभाग के उच्च अधिकारी एवं मुख्यमंत्री पंजाब सरकार से भेंट करेंगे।

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मशीन ठीक है लेकिन इसकी किट महंगी 

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इस सम्बन्ध में सिविल सर्जन डॉ  बलविंदर कुमार का कहना है कि प्लेटलेट्स की मशीन सही है लेकिन इसकी किट तकरीबन 800 की है जो की बाहर से मंगवानी पड़ती है. इस लिए लोग बाहर से टेस्ट करवा लेते हैं. उन्होंने कहा की उनके पिता गढ़शंकर में डेंगू के चलते दाखिल थे और उनके सेल तब 18000 थे।  इसके बाद उन्हें वह अपनी देखरेख में  होशिअरपुर ले आए और आज उनके सेल 64000  के करीब थे और उन्हें छुटी दे दी गई है.  

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उन्होंने कहा कि मशीन ठीक है और किट महंगी होने के कारन कुछ लोग अफ़्फोर्ड नहीं कर पाते।  

 

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