LATEST: बड़ी ख़बर : भारत में कोरोना का एक और नया वेरिएंट आया सामने, 6 दिन में घटा देता है वजन

नई दिल्‍ली  : कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई हुई है। ये वायरस लगातार अपना रूप बदलकर और खतरनाक होता जा रहा है। आए दिन इसके नए वेरिएंट सामने आ रहे हैं। अब इसका एक और खतरना‍क वेरिएंट भारत में मिला है। यह इतना खतरनाक है कि इससे संक्रमित होने के सात दिनों के अंदर ही मरीज का वजन कम हो सकता है। पहले यह वेरिएंट ब्राजील में मिला था। वहां से इसके एक ही वेरिएंट के भारत आने की पुष्टि की गई थी। हालांकि अब वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्राजील से कोरोना वायरस के दो वेरिएंट भारत आए हैं। दूसरे वेरिएंट का नाम बी.1.1.28.2 है।

सीरियाई हैमस्टर (एक प्रजाति का चूहा) में परीक्षण से पता चला है कि संक्रमित होने के सात दिन में ही इस वैरिएंट की पहचान हो सकती है। यह वेरिएंट तेजी से शरीर का वजन कम कर सकता है और डेल्टा की तरह ये भी ज्यादा गंभीर और एंटीबॉडी क्षमता कम कर सकता है।

पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी (एनआईवी) की डॉ. प्रज्ञा यादव ने बताया कि बी.1.1.28.2 वेरिएंट बाहर से आए दो लोगों में मिला था। जिसकी जीनोम सीक्वेसिंग करने के बाद परीक्षण भी किया ताकि उसके असर के बारे में हमें पता चल सके। अभी तक भारत में इसके बहुत अधिक मामले नहीं है। जबकि डेल्टा वेरिएंट सबसे ज्यादा मिल रहा है। हालांकि सतर्कता बेहद जरूरी है क्योंकि एंटीबॉडी का स्तर भी कम करता है जिसके चलते दोबारा से संक्रमित होने की आशंका बढ़ जाती है।

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विदेश यात्रा से लौटे 69 और 26 वर्षीय दो लोगों के सैंपल की सिक्वेसिंग की गई थी। रिकवरी होने के तक ये दोनों रोगियों में लक्षण नहीं था लेकिन इनके सैंपल की सीक्वेसिंग के बाद जब बी.1.1.28.2 वेरिएंट का पता चला तो उसका नौ सीरियाई हैमस्टर पर सात दिन के लिए परीक्षण किया। इनमें से तीन की मौत शरीर के अंदुरुनी भाग में संक्रमण बढ़ने से हुई। इस दौरान फेफड़े की विकृति के बारे में भी पता चला और साथ ही एंटीबॉडी का स्तर कम होने के बारे में भी जानकारी मिली है।

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इस अध्ययन में यह देखने को मिला है कि जिन दो लोगों में यह वेरिएंट मिला, वे बिना लक्षण वाले थे लेकिन जब इस वेरिएंट से सीरियाई हैमस्टर को संक्रमित किया तो गंभीरता के बारे में पता चला। वैज्ञानिकों के अनुसार कोरोना वायरस के ज्यादातर परीक्षण सीरियाई हैमस्टर पर हो रहे हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर बी.1.1.28.2 से जुड़े मामले बढ़ते हैं तो इसका असर इंसानों पर काफी गंभीर हो सकता है।

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