LATEST : जोनल इन्चार्च श्री रोशन लाल जी को भावभीनी श्रधांजलि

नालागढ़  (HOSHIARPUR) MANPREET SINGH MANNA हमीरपुर ज़ोन के जोनल इंचार्ज ब्रम्हलीन श्री रोशन लाल जी के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए 12 जनवरी 2019 को सन्त निरंकारी भवन नालागढ़ में विशेष सतसंग का आयोजन किया गया ।


सत्संग की अध्यक्षता सन्त निरंकारी मण्डल दिल्ली के प्रधान श्री गोबिंद सिंह जी “भाईया जी” ने की । इस अवसर पर संत निरंकारी मंडल, के उप प्रधान श्री वी डी नागपाल जी, केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्रीमती जोगिन्दर कौर जी, श्री ब्रिज मोहन सेठी जी सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये अनेक गणमान्य व्यक्तियों ने अपने श्रधा सुमन अर्पित किये I
अपने संबोधन में श्री गोविन्द सिंह जी ने कहा कि श्री रोशन लाल जी ने अपना समस्त जीवन सतगुरु के आशय अनुसार व्यतीत करके गुरु दर पर अपनी तोड निभा दी सही मायने में यही गुरुसिख का जीवन होता है हम सब भी उनके जीवन से प्रेरणा लेकर एक गुरुसिख वाला जीवन व्यतीत करें व सतगुरु निरंकार के आशीर्वाद के पात्र बने I उन्होंने अपने वचनों में कहा कि केवल ब्रम्हज्ञान ही एकमात्र मोक्ष प्राप्ति का मार्ग है और पूज्य रोशन लाल जी के जीवन को एक वास्तविक रौशन मीनार की संज्ञा दी । सत्संग के बाद समस्त आई हुई संगत के लिए लंगर का आयोजन किया गया जिसमें सभी ने श्रधा पूर्वक लंगर प्रशाद ग्रहण किया ।


हमीरपुर (हिमाचल-प्रदेश) ज़ोन के जोनल इन्चार्ज श्री रोशन लाल जी 83 वर्षों की सांसारिक यात्रा पूर्ण कर, गत 8 जनवरी 2019 अपने नश्वर शरीर को त्याग कर निरंकार में विलीन हो गए थे ।
सुबह लगभग 9 बजे उनके निवास स्थान फ्रेंड्स कलौनी नालागढ़ से बस स्टैंड चौक से होते हुए सन्त निरंकारी भवन चौकीवाला तक एक विशाल व भव्य शोभा यात्रा का आयोजन किया गया । जिसमे सबसे आगे विभिन्न स्थानों के संयोजकों तथा प्रमुखों ने इस शोभायात्रा का अगुवाई की जिनके पीछे सन्त निरंकारी सेवादल तथा मिशन के भाई बहनों और गणमान्य व्यक्तियों ने इस शोभा यात्रा में भाग लिया । शोभा यात्रा लगभग 10 बजे सत्संग भवन चौकिवाला पहुँची जिसके साथ ही वहाँ पर विशाल सत्संग का शुभारम्भ हुआ ।
पूज्य रोशन लाल जी का जन्म 15 मई, 1935 को हिमाचल प्रदेश के तहसील बड़सर, जिला हमीरपुर के गाँव भखरेहड़ी में हुआ था। उनके माता-पिता श्री संत राम जी और श्रीमती हरदेई जी एक संयुक्त परिवार का हिस्सा थे। उनके पिता जी ने सेना में सेवा की और सेवानिवृत्ति के बाद एक छोटे से व्यवसाय और जमीन की थोड़ी सी खेती के माध्यम से अपनी आजीविका अर्जित की।
पूज्य रोशन लाल जी ने अपने गाँव से लगभग चार किलोमीटर दूर बनी के एक स्कूल से अपनी 8वीं कक्षा उत्तीर्ण की, उन्हें घर से स्कूल तक पैदल ही चलना पड़ता था। बाद में उन्होंने 1953 में संत सुखा सिंह हाई स्कूल, सोलन से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने रेडियोग्राफी में प्रशिक्षण के लिए अमृतसर के वी.जे. हस्पताल में दाखिला लिया। 1957 में वे रेडियोग्राफर के रूप में उसी सरकारी अस्पताल के एक्स-रे विभाग में पदासीन हुए। नवंबर 1959 में उन्हें उसी पद पर सिविल हस्पताल हिसार में स्थानांतरित कर दिया गया।
पूज्य रोशन लाल जी अमृतसर में रहते हुए 1956 में संत निरंकारी मिशन के संपर्क में आए। एक दिन जब वह अपने किराए के घर के बाहर पढ़ाई कर रहे थे, तो उन्होने शहंशाह बाबा अवतार सिंह जी को अपने सामने से गुजरते हुए देखा। जैसे ही बाबा जी ने उनकी ओर देखा, उन्हें अपने शरीर में कुछ अजीब सी कंपन का अनुभव हुआ। बाबा जी के लौटने पर भी उन्हें फिर वही अनुभव हुआ। उनके पूछने पर उन्हें बताया गया कि बाबा जी भगवान के सच्चे अवतार हैं। उन्होने सत्संग में जाने का मन बना लिया। फलस्वरूप, अप्रैल 1956 में पूज्य रोशन लाल जी को सतगुरू की कृपा से प्रधान लाभ सिंह जी द्वारा ब्रह्मज्ञान प्राप्ति हुई ।
पूज्य रोशन लाल जी 1957 में सेवादल में शामिल हो गए। जैसा कि पहले ही उल्लेख किया गया था कि उन्हें नवंबर 1959 में हिसार स्थानांतरित किया गया था, वहां सिविल हस्पताल में रेडियोग्राफर के रूप में काम किया। यहाँ वह काफी अकेला महसूस करते थे । क्योंकि वहाँ कोई संगत नहीं थी। उन्होंने इस्तीफा देने और वापस अमृतसर जाने का मन बना लिया, लेकिन एक दिन सपने में शहंशाह जी ने उन्हें आश्वस्त किया कि उन्हें मिशन के संदेश का प्रचार करने के लिए एक दिव्य व्यवस्था के तहत हिसार भेजा गया है । एक सप्ताह के भीतर उन्हें शहंशाह जी के दर्शनों के लिए अमृतसर बुलाया गया। वह हैरान रह गये जब बाबा जी ने उन्हीं शब्दों को दोहराया जो उन्होंने सपने में सुने थे।

शहंशाह जी के आशीर्वाद से पूज्य रोशन लाल जी ने हिसार में दोस्तों के बीच मिशन का प्रचार शुरू किया। 1960 में नियमित रूप से सत्संग शुरू की गईं और उन्हें शाखा का प्रधान बनाया गया। 1961 में बंस, हांसी और फिर फतेहाबाद में संगतें शुरू हुईं। 1962 में उन्होंने भिवानी, लोहारू, उकलाना मंडी, नारनौल, जाखल मंडी, रतिया, सिरसा और मंडी डबवाली में सत्संग शुरू किया। शहंशाह जी ने 1961 और 1962 में हांसी का दौरा किया। सितंबर 1966 में बाबा गुरबचन सिंह जी की पावन उपस्थिति में हांसी में एक विशाल समागम आयोजित किया गया।
नवंबर 1966 में पूज्य रोशन लाल जी हिमाचल प्रदेश के नालागढ़ में तैनात हुए। उन्होंने यहां भी सत्संग शुरू किया। सितंबर 1968 में उन्हें कंडाघाट स्थानांतरित कर दिया गया। उसी वर्ष उन्हें ब्रह्म ज्ञान वितरित करने के लिए सतगुरु की अनुमति मिली।
कंडाघाट में पूज्य रोशन लाल जी ने हिमाचल प्रदेश में मिशन के प्रचार के लिए एक अहम भूमिका निभाई । वर्तमान में कुछ प्रमुख और प्रचारक जैसे आदरणीय प्रीतम चंद जी कांगड़ा, आदरणीय पुरुषोत्तम जी परौर, आदरणीय दुनी चंद जी चम्बा, आदरणीय राम प्रकाश जी नालागढ़, आदरणीय संत राम जी कांगड़ा, आदरणीय जगदीश चंद हांडा जी सोलन, आदरणीय रामशरण शर्मा जी तारा देवी शिमला, इन सभी को उनसे दिव्य ज्ञान और मिशन का बुनियादी प्रशिक्षण मिला। उन्होंने 1968 से 1973 तक शाखा के प्रमुख के रूप में कार्य किया।
इसके साथ ही, पूज्य रोशन लाल जी राज्य समिति के अध्यक्ष थे और 1968 से 1985 तक हिमाचल प्रदेश में सभी शाखाओं के प्रभारी बने रहे। इस अवधि के दौरान पूरे राज्य में मिशन की बड़ी संख्या में नई शाखाएँ स्थापित की गईं। उनमें शामिल हैं: शिमला जिला- ठियोग, जुब्बल, रोहडू और कुमारसेन; सोलन जिला- कण्डाघाट, कुनिहार, अर्की, दाड़लाघाट, नालागढ़, बरोटीवाला और कसौली। सिरमौर जिला- सराहां, नाहन, पौंटा साहिब और सिरमौरीताल; मंडी जिला- सुंदरनगर, सलापड़, मंडी, पंडोह, जोगिंदर नगर, कठियाल, डडौर, खरसोग, मैहरा मसिहाट, लोअर ब्रोटी और सरकाघाट; कुल्लू जिला- मनाली, कुल्लू, बंजार, भटगढ़, भुंतर और कटराईं, बिलासपुर जिला- बिलासपुर, घुमारवीं, कपाहरा, दधोल और मंजर (स्वरघाट); कांगड़ा जिला- कांगड़ा, मारंडा, धर्मशाला, नगरोटा बगवां, नूरपुर, ज्वाली, हरसर, नगरोटा सूरिया, राजा का तालाब, फतेहपुर, सतना, इंदपुर, इंदौरा, छन्नी, डमटाल, मण्डसन्नौर, भोगराँव, कटाल, कटहल और खन्नी।
1974 में पूज्य रोशन लाल जी को मंडी स्थानांतरित कर दिया गया, जहाँ उन्होंने 1974 से 1980 तक प्रमुख के रूप में कार्य किया। जब बाबा गुरुबचन सिंह जी ने संत निरंकारी मंडल की अखिल भारतीय कार्य समिति कि स्थापना कि तो पूज्य रोशन लाल जी इस समिति के संस्थापक सदस्य बने । 1979 से 2008 तक वह इसके सदस्य बने रहे।
पूज्य रोशन लाल जी को मंडी में रहते हुए 1987 में जोनल इंचार्ज बनाया गया । बाद में उन्होंने कांगड़ा में दिन-रात एक कर मिशन की सेवा की। इसके बाद 2009 से अब तक वे जोनल इंचार्ज, हमीरपुर के रूप में जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
पूज्य रोशन लाल जी का विवाह 16 फरवरी 1962 को श्री मुंशी राम जी व श्रीमती तीरथ देवी जी की सुपुत्री आदरणीय यशोदा जी के साथ सम्पन्न हुआ । जो साथ के ही गाँव चौंतरा, तहसील और जिला हमीरपुर में है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। बेटे श्री मुनीश निरंकारी, जो एक सक्रिय सेवादार थे, हाल ही में अगस्त 2018 को एक सड़क दुर्घटना में इस निरंकार में विलीन हो गए। वह भी परिवार के लिए एक बड़ी क्षति थी, लेकिन परिवार ने इस कठिन परीक्षा में, सहिष्णुता और विनम्रता के साथ भगवान की इच्छा को स्वीकार कर लिया। वृद्धावस्था में यह बड़ा नुकसान भी सत्य के संदेश को फैलाने के लिए पूज्य रोशन लाल जी के क़दमों को डगमगा नहीं सका। उन्होंने उसी उत्साह और समर्पण के साथ प्रचार को जारी रखा। अन्तत: 8 जनवरी, 2019 को प्रातः 8.30 बजे अपने निवास स्थान नालागढ़ में ही इस नश्वर शरीर को त्याग कर शाश्वत निरंकार में विलीन हो गए और इस प्रकार इस चमकते सितारे को सदा सदा के लिए शरीर रूप से ओझल होते हुए देखना पड़ा। उनका जीवन हमेशा पूरे निरंकारी परिवार के लिए एक वास्तविक रौशन मीनार बना रहेगा।

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